आवाज की दुनिया के दोस्त बिना उनकी आवाज़ के अधूरे हैं. रेडियो, संगीत, सिनेमा प्रेमी शायद ही कोई ऐसा होगा जो इस नाम से परिचित ना हों. उनकी कभी न भूलने वाली आवाज के बिना भारत का रेडियो जगत अधूरा है. कभी बिनाका, सीबाका का हर श्रोता ठीक आठ बजे रेडियो सिलोन में कान लगा कर सिर्फ गीतमाला नहीं सुनता था, साथ में उनकी अपनेपन से भरी मखमली आवाज को भी सुनता था. जब वे कहते, बहनों और भाईयों, तो ऐसा लगता था जैसे वे सीधे हमें संबोधित कर रहे हैं. उस एक कार्यक्रम ने रेडियो को जन-जन की आवाज़ बना दिया था. एक घंटे में सप्ताह के दस लोकप्रिय गीत मनोरंजन की सबसे बड़ी खुराक होती थी. हिंदी इनसे भी लोकप्रिय हुई या यूँ कहें कि इन लोगों ने हिंदी की शक्ति को जाना-पहचाना.
अब इस दुनिया से वह जोश भरी आवाज चली गई, अब वो आवाज़ सुनाई नहीं देगी, पर उनकी जादुई आवाज सदा गुंजेगी.
हम सबकी ओर से आपको अंतिम शत् शत् प्रणाम...🙏🙏🙏
!! ॐ शांति !!

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